पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
श्रेष्ठगीत
1. [QS]काश, तुम मेरे शिशु भाई होते, मेरी माता की छाती का दूध पीते हुए! [QE][QS2]यदि मैं तुझसे वहीं बाहर मिल जाती [QE][QS]तो तुम्हारा चुम्बन मैं ले लेती, [QE][QS2]और कोई व्यक्ति मेरी निन्दा नहीं कर पाता! [QE]
2. [QS]मैं तुम्हारी अगुवाई करती और तुम्हें मैं अपनी माँ के भवन में ले आती, [QE][QS2]उस माता के कक्ष में जिसने मुझे शिक्षा दी। [QE][QS]मैं तुम्हें अपने अनार की सुगंधित दाखमधु देती, [QE][QS2]उसका रस तुम्हें पीने को देती। [QE]
3. {#1स्त्री का वचन स्त्रियों के प्रति } [QS]मेरे सिर के नीचे मेरे प्रियतम का बाँया हाथ है [QE][QS2]और उसका दाँया हाथ मेरा आलिंगन करता है। [QE][PBR]
4. [QS]यरूशलेम की कुमारियों, मुझको वचन दो, [QE][QS2]प्रेम को मत जगाओ, [QE][QS2]प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ। [QE]
5. {#1यरूशलेम की पुत्रियों का वचन } [QS]कौन है यह स्त्री [QE][QS2]अपने प्रियतम पर झुकी हुई जो मरुभूमि से आ रही है [QE]{#1स्त्री का वचन पुरुष के प्रति } [QS]मैंने तुम्हें सेब के पेड़ तले जगाया था, [QE][QS2]जहाँ तेरी माता ने तुझे गर्भ में धरा [QE][QS2]और यही वह स्थान था जहाँ तेरा जन्म हुआ। [QE]
6. [QS]अपने हृदय पर तू मुद्रा सा धर। [QE][QS2]जैसी मुद्रा तेरी बाँह पर है। [QE][QS]क्योंकि प्रेम भी उतना ही सबल है जितनी मृत्यु सबल है। [QE][QS2]भावना इतनी तीव्र है जितनी कब्र होती है। [QE][QS]इसकी धदक [QE][QS2]धधकती हुई लपटों सी होती है! [QE]
7. [QS]प्रेम की आग को जल नहीं बुझा सकता। [QE][QS2]प्रेम को बाढ़ बहा नहीं सकती। [QE][QS]यदि कोई व्यक्ति प्रेम को घर का सब दे डाले [QE][QS2]तो भी उसकी कोई नहीं निन्दा करेगा! [QE]
8. {#1उसके भाईयों का वचन } [QS]हमारी एक छोटी बहन है, [QE][QS2]जिसके उरोज अभी फूटे नहीं। [QE][QS]हमको क्या करना चाहिए [QE][QS2]जिस दिन उसकी सगाई हो [QE][PBR]
9. [QS]यदि वह नगर का परकोटा हो [QE][QS2]तो हम उसको चाँदी की सजावट से मढ़ देंगे। [QE][QS]यदि वह नगर हो [QE][QS2]तो हम उसको मूल्यवान देवदारु काठ से जड़ देंगे। [QE]
10. {#1उसका अपने भाईयों को उत्तर } [QS]मैं परकोट हूँ, [QE][QS2]और मेरे उरोज गुम्बद जैसे हैं। [QE][QS]सो मैं उसके लिये शांति का दाता हूँ! [QE]
11. {#1पुरुष का वचन } [QS]बाल्हामोन में सुलैमान का अगूंर का उपवनथा। [QE][QS2]उसने अपने बाग को रखवाली के लिए दे दिया। [QE][QS]हर रखवाला उसके फलों के बदले में चाँदी के एक हजार शेकेल लाता था। [QE][PBR]
12. [QS]किन्तु सुलैसान, मेरा अपना अंगूर का बाग मेरे लिये है। [QE][QS]हे सुलैमान, मेरे चाँदी के एक हजार शेकेल सब तू ही रख ले, [QE][QS2]और ये दो सौ शेकेल उन लोगों के लिये हैं [QE][QS]जो खेतों में फलों की रखवाली करते हैं! [QE]
13. {#1पुरुष का वचन स्त्री के प्रति } [QS]तू जो बागों में रहती है, [QE][QS2]तेरी ध्वनि मित्र जन सुन रहे हैं। [QE][QS]तू मुझे भी उसको सुनने दे! [QE]
14. {#1स्त्री का वचन पुरुष के प्रति } [QS]ओ मेरे प्रियतम, तू अब जल्दी कर! [QE][QS2]सुगंधित द्रव्यों के पहाड़ों पर तू अब चिकारे या युवा मृग सा बन जा! [QE][PBR]
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1 काश, तुम मेरे शिशु भाई होते, मेरी माता की छाती का दूध पीते हुए! यदि मैं तुझसे वहीं बाहर मिल जाती तो तुम्हारा चुम्बन मैं ले लेती, और कोई व्यक्ति मेरी निन्दा नहीं कर पाता! 2 मैं तुम्हारी अगुवाई करती और तुम्हें मैं अपनी माँ के भवन में ले आती, उस माता के कक्ष में जिसने मुझे शिक्षा दी। मैं तुम्हें अपने अनार की सुगंधित दाखमधु देती, उसका रस तुम्हें पीने को देती। स्त्री का वचन स्त्रियों के प्रति 3 मेरे सिर के नीचे मेरे प्रियतम का बाँया हाथ है और उसका दाँया हाथ मेरा आलिंगन करता है। 4 यरूशलेम की कुमारियों, मुझको वचन दो, प्रेम को मत जगाओ, प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ। यरूशलेम की पुत्रियों का वचन 5 कौन है यह स्त्री अपने प्रियतम पर झुकी हुई जो मरुभूमि से आ रही है स्त्री का वचन पुरुष के प्रति मैंने तुम्हें सेब के पेड़ तले जगाया था, जहाँ तेरी माता ने तुझे गर्भ में धरा और यही वह स्थान था जहाँ तेरा जन्म हुआ। 6 अपने हृदय पर तू मुद्रा सा धर। जैसी मुद्रा तेरी बाँह पर है। क्योंकि प्रेम भी उतना ही सबल है जितनी मृत्यु सबल है। भावना इतनी तीव्र है जितनी कब्र होती है। इसकी धदक धधकती हुई लपटों सी होती है! 7 प्रेम की आग को जल नहीं बुझा सकता। प्रेम को बाढ़ बहा नहीं सकती। यदि कोई व्यक्ति प्रेम को घर का सब दे डाले तो भी उसकी कोई नहीं निन्दा करेगा! उसके भाईयों का वचन 8 हमारी एक छोटी बहन है, जिसके उरोज अभी फूटे नहीं। हमको क्या करना चाहिए जिस दिन उसकी सगाई हो 9 यदि वह नगर का परकोटा हो तो हम उसको चाँदी की सजावट से मढ़ देंगे। यदि वह नगर हो तो हम उसको मूल्यवान देवदारु काठ से जड़ देंगे। उसका अपने भाईयों को उत्तर 10 मैं परकोट हूँ, और मेरे उरोज गुम्बद जैसे हैं। सो मैं उसके लिये शांति का दाता हूँ! पुरुष का वचन 11 बाल्हामोन में सुलैमान का अगूंर का उपवनथा। उसने अपने बाग को रखवाली के लिए दे दिया। हर रखवाला उसके फलों के बदले में चाँदी के एक हजार शेकेल लाता था। 12 किन्तु सुलैसान, मेरा अपना अंगूर का बाग मेरे लिये है। हे सुलैमान, मेरे चाँदी के एक हजार शेकेल सब तू ही रख ले, और ये दो सौ शेकेल उन लोगों के लिये हैं जो खेतों में फलों की रखवाली करते हैं! पुरुष का वचन स्त्री के प्रति 13 तू जो बागों में रहती है, तेरी ध्वनि मित्र जन सुन रहे हैं। तू मुझे भी उसको सुनने दे! स्त्री का वचन पुरुष के प्रति 14 ओ मेरे प्रियतम, तू अब जल्दी कर! सुगंधित द्रव्यों के पहाड़ों पर तू अब चिकारे या युवा मृग सा बन जा!
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